हरिद्वार। हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण प्रदेश में आजकल अपनी कार्यशैली को लेकर खासा सुर्खियों में बना हुआ हैं। हाईवे स्थित एक आवासीय कालोनी का मानचित्र स्वीकृति भारी पड़ गई हैं। मामले में पेंच फसने के बाद प्राधिकरण अधिकारियों को स्वीकृत लेआउट निरस्त करना पड़ा हैं। जिसके चलते हरिद्वार- रूड़की प्राधिकरण की स्थिति हस्यास्पद बन गई हैं।
ताजा मामला कनखल हाईवे से सटी संपत्ति का हैं। जिसमें विवाद होने के बावजूद प्राधिकारण अधिकारियों ने बिना तथ्यों की जांच किए ही सांठगांठ कर आवासीय कालोनी मानचित्र स्वीकृति कर दिया। अब -जब अमृतसर निवासी व्यक्ति ने भू-स्वामित्व का दावा करते हुए विकास प्राधिकरण के द्वारा स्वीकृत मानचित्र पर आपत्ति जताई तो अधिकारी एक दूसरे की बगले झांकने लगे। अब आनन-फानन में तथ्यों को छिपाकर मानचित्र स्वीकृत कराने का कथन करते हुए कनखल हाईवे से सटी आवासीय कालोनी का मानचित्र निरस्त कर दिया हैं। जिसके बाद से प्राध्किरण की स्थिति हस्यास्पद बनी हुई हैं। लोग चुटकी लेते हुए कह रहे हैं कि आम-आदमी के मकान के मानचित्र की स्वीकृति के लिए तमाम भूमि अभिलेखों और नियम व कायदे बताने वाला भारी भरकम विभाग इस मामले में कैसे चूक कर गया ?
सूत्र बताते हैं कि प्राधिकरण ने एक ऐसे व्यक्ति का भवन का नक्शा पास कर दियाए जिसके पास उसकी अपनी कोई भूमि थी ही नहीं। स्वामित्वविहीन व्यक्ति को दूसरे की भूमि पर आवासीय कालोनी का मानचित्र स्वीकृत कर दिया गया। जब वास्तविक भूमि स्वामी ने प्राधिकरण में शिकायत की तो प्राधिकरण के अधिकारियों के होश उड़ गये और अब आनन-फानन में नक्शे को निरस्त करने के लिए कार्यवाही करते दिखाई दे रहें हैं। राजस्व अभिलेख नकल खतौनी की अनदेखी कर विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा स्वामित्वहीन व्यक्ति के प्रार्थना पत्र पर आवासीय मानचित्र पास कर दिया गया। जिसकी जानकारी होने पर भूस्वामी दावा कर रहे अमृतसर निवासी व्यक्ति ने 24.5.2022 को विकास प्राधिकरण में लिखित आपत्ति दी । इतना ही नहीं पीड़ित ने मुख्यमंत्री सहित उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर तहसील अधिकारियों व प्राधिकरण के अधिकारियों के कारनामें से अवगत कराते हुए अपनी भूमि पर गैर कानूनी तरीके से पास किये गये नक्शे को निरस्त कराने की मांग की थी।
जिसके बाद बताया जा रहा हैं प्राधिकरण के अधिकारियों ने मामले में दोनों पक्षों में सुलह भी कराने की कोशिश कर अपने कारनामे पर पर्दा डालने का भरपूर कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों में आपस में बात नहीं बन पाई और तत्पश्चात् आवासीय कालोनी का मानचित्र अधिकारियों को निरस्त करना पड़ा।
एचआरडीए अधिकारियों की कार्यशैली का अंदाजा इसी मामले से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण में खेल क्या चल रहा हैं ? यह तो बानगी हैं हजूर! जांच हो तो कार्यालय में दर्जनों धूल फांक रही फाइलों से इस तरह के मामले सामने आ सकते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाईवे से सटी भूमि का बिना तथ्यों की जांच के आवासीय कालोनी का मानचित्र स्वीकृति प्रदान करने या कराने में विकास प्राधिकारण के एक चर्चित एई की खास भूमिका बताई जा रही हैं। बताया जा रहा हैं कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे चर्चित सहायक अभियंता कालोनाइजर का खास करीबी हैं। सहायक अभियंता के भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों के बाद भी जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली धाकड़ धामी की सरकार और शहरी विकास मंत्री कार्रवाही करने के स्थान पर पूरी तरह आंखे मूंदे हुए हैं।