श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन लापता संत मोहन दास के मामले में कोर्ट के आदेश पर पुनः होगी विवेचना, करीबी संत, सफेदपोश व प्रोपर्टी डीलरों की बढ़ी बैचेनी
         ( फाईल फोटो ) लापता होने से पूर्व  महाराष्ट्र में एक आयोजन के दौरान महंत मोहनदास व अन्य संत 


हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संत मोहनदास के लापता होने के मामले में पुलिस की फाईनल रिपोर्ट अस्वीकार करने के साथ ही कोर्ट ने कनखल थाने कोे पुनः विवेचना किए जाने के लिए आदेशित किया हैं। बताते चलें कि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत मोहनदास संदिग्ध परिस्थितियों में 16.09.2017 को लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन से हरिद्वार रेलवे स्टेशन से इलाज के लिए मुम्बई जाते वक्त लापता हो गए थे। इस मामले में महंत सुखदेव मुनि की तरफ से कनखल थाने में तहरीर दी गई थी। लेकिन तीन वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के पश्चात् पुलिस मोहनदास को तलाशने में असफल रही है।

 इसी बीच पुलिस ने फाईनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी। अब इस प्रकरण में अखाड़े के महंत सुखदेव मुनि के अधिवक्ता सुभाष त्यागी ने कनखल पुलिस द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत की गई जांच आख्या के खिलाफ नाराजी याचिका ( प्रोस्टेट पैटिशन) दायर की थी। जिस पर न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ,द्वितीय हरिद्वार द्वारा वादी की आपत्ति को स्वीकार करते हुए विवेचक की अंतिम आख्या 74/2019 अर्थात फाईनल रिपोर्ट को निरस्त कर दिया हैं। एफआर निरस्त करने के साथ ही न्यायिक मजिस्ट्रेट ,द्वितीय हरिद्वार ने प्रकीर्ण वाद संख्या-10/2020 महंत सुखदेव मुनि बनाम अज्ञात अ0धारा-365 भा0द0स0 1860 के तहत दिनांक- 03.02.21 में प्रभारी निरीक्षक कनखल को संत मोहनदास प्रकरण में पूर्व विवेचना अधिकारी को छोड़कर स्वयं अथवा अपने किसी अधीनस्थ कर्मचारी से अग्रेतर विवेचना कराना सुनिश्चित करे और अपनी आख्या प्रस्तुत करने के लिए आदेशित किया हैं। कोर्ट के आदेशों के बाद से मोहनदास के करीबी संत व सफेदपोशों सहित कई प्रापर्टी डीलरों की बैचेनी बढ़ गई हैं। 

वादी के अधिवक्ता की तरफ से न्यायालय में दायर की गई प्रोस्टेट पैटिशन में महंत मोहनदास प्रकरण में पुलिस द्वारा लगाई गई फाईनल रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया हैं। प्रोस्टेट पैटिशन में कथन किया गया हैं कि अखाड़े के लापता संत मोहनदास के विगत 10 वर्षो में कौन-कौन अभिन्न मित्र , दुश्मन अथवा ईष्या करने वाले लोग थे? पुलिस ने यह जानने की भी कोशिश नहीं की। संत मोहनदास के बैंक खातों खंगालने सहित लापता संत का प्रापर्टी व्यवसाय की खरीद-फरोख्त में शामिल भू-व्यवसाईयों से भी पूछताछ की जानी चाहिए थी। प्रोस्टेट पैटिशन में महंतदास मेरठ के चावला होटल में ठहरना , होटल से निकलते वक्त दो भारी बैग होना व वेंडर के पास मिला लापता संत का मोबाईल फोन सहित ऐसे कई विषयों का जिक्र किया गया हैं जो महंत मोहनदास के साथ किसी अप्रिय घटना की ओर इशारा करती हैं। लापता संत के मामले में पुलिस द्वारा कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की गई फाईनल रिपोर्ट में कई खामियां हैं जो पुलिस की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं।

 इधर , कनखल पुलिस का कहना हैं कि लापता संत की फाईनल रिपोर्ट न्यायालय में अस्वीकार की गई हैं। कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में विवेचना की जाऐगी।

 उधर , अखाड़े के महंत सुखदेव मुनि का कहना हैं कि महंत मोहनदास रहस्मयी गुमशुदगी से पर्दा उठना चाहिए। इसके पीछे क्या राज हैं ? सबके सामने आना चाहिए। अवश्यकता पड़ी तो मामले में सीबीआई जांच के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाऐंगे। 

उल्लेंखनीय हैं कि कनखल स्थित बड़ा अखाड़ा उदासीन के महंत मोहनदास का मुंबई के बाॅम्बे हाॅस्पिटल में इलाज चल रहा था। डाॅक्टरों ने आॅप्रेशन के लिए 18 सितंबर की तारीख दी थी। 16 सितंबर की रात दो बजे महंत मोहनदास हरिद्वार-लोकमान्य तिलक एसी सुपरफास्ट में रवाना हुए थे। महंत मोहनदास 16.09.2017 की रात करीब दो बजे स्पेशल लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन से हरिद्वार से मुंबई के लिए सवार हुए थे। उन्हें आश्रम का सेवक चतुरदास ट्रेन में बैठाकर आया था। महंत के लापता होने का पता तब चला जब भोपाल पहुंचने पर वहां का एक सेवादार महंत को भोजन देने के लिए ट्रेन में चढ़ा। भोपाल में पहले से ही कोठारी महंत को भोजन उपलब्ध कराने की तैयारी भक्तों ने की थी, लेकिन अगले दिन भोपाल पहुंची ट्रेन में कोठारी मंहत मोहनदास नहीं थे। सेकेंड एसी कोच में सीट नंबर 21 पर उनका रिजर्वेशन था, लेकिन वे ट्रेन में मिले ही नहीं। उनके लापता होने जानकारी हरिद्वार श्री पंचायती अखाड़े में दी गई। कोठारी महंत के लापता होने की सूचना मिलते ही संत समाज में हड़कंप मच गया था। हलांकि पुलिस की कई टीमों ने मोहनदास की काफी खोजबीन की परन्तु पुलिस को महंत मोहनदास की तलाश में असफलता हाथ लगी।

 मोहनदास के लापता होने के कुछ दिनों के बाद ही बदल गई घनिष्ठों संतों की लाईफ स्टाईल

श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संत मोहनदास के लापता होने के बाद उनके घनिष्ठ संतों की लाईफ स्टाईल में कुछ ही दिनों बाद बदलाव दिखाई पड़ा हैं। संत के घनिष्ठों पर मलाईदार ओहदा व महंगी गाड़ियों के अचानक आ जाने से संत समाज में कई तरह की चर्चाए आम हैं।

मोहनदास को प्राॅपर्टी व्यवसाय में भी थी खासी दिलचस्पी

लापता संत मोहनदास की घनिष्ठता की सूची में सिर्फ संत ही नहीं थे, हरिद्वार और कनखल के कई भू-व्यवसाई भी उनके खासे संपर्क में थे। इसका सीधी वजह मोहनदास का जमीनों की खरीद-फरोख्त के व्यवसाय में दिलचस्पी होना था। इसलिए उन्होने हरिद्वार में कई जगह अप्रत्यक्ष रूप से भू-व्यवसाईयों के साथ जमीन की खरीद-फरोख्त में पैसे का निवेश किया हुआ था। इस बात का इल्म न सिर्फ अखाड़े के साधु संतों को हैं बल्कि भू-व्यवसाईयों के साथ-साथ शहर के तमाम लोगों की जानकारी में हैं।