बैरागी कैम्प कनखल में अतिक्रमण का मामलाः धवस्तीकरण की सूचना पर अतिक्रमणकारी संतों में हड़कम्प, तैयारी अधूरी होने के चलते सिंचाई विभाग ने पीछे खींचे कदम

 


 हरिद्वार। 30 अप्रैल को कुंभ समाप्ति होने के पश्चात् भी श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगम्बर अनी और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा के कुछ संत बैरागी कैम्प में रूके हुए हैं और मेला आरक्षित भूमि पर धार्मिक संरचना की आड़ में अतिक्रमण करने में जुटे हैं। सार्वजनिक भूमि पर संतों के अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद स्थानीय प्रशासन ने कई बार मौके पर जाकर अनाधिकृत निर्माण और इस मामले में तीनो बैरागी अखाड़ों के संतों को अतिक्रमण हटाए जाने व बंद किए जाने के नोटिस भी जारी किए हुए हैं। बावजूद इसके अतिक्रमणकारी संत नियमों को ताक पर रख मेला अरक्षित भूमि पर अवैध निर्माण कराने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी मामले को लेकर प्रशासन व सिंचाई विभाग ने 13 मई 2021 को 11 बजे बैरागी कैंप मेला आरक्षित भूमि पर किए जा रहे अवैध निर्माणों को धवस्त करने की तारीख व समय मुकर्रर की थी। जिसके बाद सुबह से ही विभाग धवस्तीकरण के संसाधन जुटाने में लगा था। जिसकी भनक अतिक्रमणकारी संतों को भी लग चुकी थी। जिसके बाद से संतों में खासा हडकंप मचा हुआ था और संतों ने मौके से निर्माण कार्य में लगे दिहाड़ी मजदूरों को हटाकर घरों को जाने के लिए कह दिया था। जानकारी मिलते ही मीडिया का झुण्ड भी संतों के आस-पास मंडराता रहा। संतों सहित तमाम निगाहें मार्ग पर लगी रही और संत पल-पल की जानकारी जुटाने में लगे रहे। इधर, सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों की तैयारी अधूरी होने चलते मेला आरक्षित भूमि पर बने अवैध निर्माणों पर धवस्तीकरण की कारवाई परवान से पहले ही धराशायी हो गई। फिलहाल, कार्यवाही की मुकर्रर तारीख से प्रशासन व विभाग ने कदम पीछे खींच लिए हैं। उधर , इस कार्रवाही टलने की जानकारी के उपरांत अतिक्रमणकारी संतों ने राहत की सांस ली हैं। 

गौरतलब हैं कि सिंचाई विभाग के नियंत्रण वाली मेला भूमि पर श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगम्बर अनी और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा में अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। कई बीघा की भूमि पर अतिक्रमण कर रहे अखाड़े के संतों ने अवैध निर्माणों के साथ-साथ लोहे की ऐंगल और जाल लगाकर चारों ओर से भूमि को कवर्ड कर कंकरीट का स्थाई प्रवेश द्वार बनाया लिया हैं। हलांकि शिकायतों के बाद प्रशासन ने मौेके पर जाकर निर्माण कार्य बंद कराने का प्रयास जरूर किया हैं लेकिन इन सबके बावजूद संत निर्माण कराने पर अमादा हैं। निर्माण का सिलसिला जारी होने की शिकायत पर प्रशासन ने बैरागी कैम्प में बने संतों के अवैध निर्माण को धवस्त करने की रणनीति बनाई थी, जोकि फिलहाल आगामी दिनों के लिए टल गई हैं। वहीं, बताया जा रहा हैं कि सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमणकारी संत कार्यवाही रूकवानें के लिए अधिकारियों पर खासा दबाव बनाने में लगे हुए हैं। 

31 मई तक धवस्त की जानी हैं धार्मिक संरचनाएं

सुप्रीम कोर्ट के 19 नवम्बर 2020 को हरिद्वार बैरागी कैंप मेला आरक्षित भूमि स्थित 4 धार्मिक संरचाओं का धवस्तीकरण किए जाने के संबंध में आदेश पारित किया हुआ हैं। श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगम्बर अनी , श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा और निरंजनी अखाड़ा की धार्मिक संरचानाएं सम्मिलित हैं। जिसके संबंध में दायर याचिका 205 / 2019 पर माननीय हाईकोर्ट उत्तराखण्ड ने 23 मार्च तक धवस्तीकरण के आदेश पारित किए थे , हाईकोर्ट के इन्हीं आदेेशों के खिलाफ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से अपील की गई थी । जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने लोक मार्गो , लोक पार्को तथा अन्य लोक स्थानों में अनाधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने जाने के पूर्व पारित विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या - 8519 /2006 भारत सरकार बनाम गुजरात राज्य व अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक - 29.09.2009 में पारित आदेशों व उत्तराखण्ड शासन नीति 2016 का जिक्र करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की अपील को न सिर्फ निरस्त कर दिया था बल्कि राज्य सरकार व विभाग को 31 मई 2021 तक बैरागी कैम्प कनखल, हरिद्वार में बनी 4 धार्मिक संरचनाओं को धवस्त किए जाने का आदेश 19 नवम्बर 2020 को पारित किया था। मामले की सुनवाई के दौरान अखाड़ा परिषद के वकील ने यह स्वीकार किया कि चारों निर्माण सिंचाई विभाग की जमीन पर हुए हैं।

हाई कोर्ट उत्तराखण्ड भी दे चुका है धार्मिक संरचनाओं को धवस्त किए जाने का आदेश 

इससे पूर्व हाई कोर्ट उत्तराखण्ड इस मामले में प्रदेश सरकार को 23 मार्च 2021 तक मेला आरक्षित सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से बनी धार्मिक संरचनाओं को धवस्त करने के आदेश पारित कर चुकी हैं। 

हाई कोर्ट के आदेश पर चल रहे अतिक्रमण विरोधी मुहिम के खिलाफ अखाड़ा परिषद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। राज्य सरकार ने भी अगले साल मार्च और अप्रैल के बीच कुंभ मेले के आयोजन के चलते हरिद्वार के 4 धर्मस्थलों को हटाने पर अंतरिम रोक की मांग की थी। उत्तराखंड हाई कोर्ट राज्य में अवैध तरीके से बने धार्मिक स्थलों को हटाने के मसले ओर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। हाई कोर्ट ने इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट के ही 2009 में आए फैसले को आधार बनाया है। तब सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई के लिए कहा था। हाई कोर्ट के दखल के बाद पूरे उत्तराखंड में अवैध धर्मस्थलों पर कार्रवाई जारी है। लेकिन हरिद्वार का बैरागी संत मेला भूमि पर बने 4 मंदिरों को हटाने का विरोध कर रहा था। 

2010 में हुए पिछले कुंभ के दौरान अस्थायी निर्माण के लिए मिली जगह पर यह स्थायी निर्माण किया गया है। अब 2021 में संतों ने 2010 की धार्मिक संरचनाओं में किए गए निर्माण की आड़ में मेला भूमि पर अतिक्रमण का खेल फिर से शुरू कर दिया हैं।



सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के तत्पश्चात् भी कनखल बैरागी कैम्प मेला आरक्षित भूमि व सार्वजनिक भूमि पर अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा , अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़ा व अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा से जुड़े संत धार्मिक संरचनाओं की आड़ में मेला लैण्ड पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण करवाया जा रहा हैं। 

बताते चलें कि यह सभी निर्माण कुंभ के दौरान संतों द्वारा किए गए जिसकी जानकारी कुंभ मेला प्रशासन को भी थी, लेकिन कुंभ मेला प्रशासन का ध्यान मेला लैण्ड पर हो रहे अतिक्रमण की अनदेखी कर मेले की वाहवाही लूटने और संतों की आवभगत में जुटा रहा। 

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